बलरामपुर जिले में लगातार 48 घंटे से रुक-रुक कर हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन बेहाल है। एक ओर शहर और कस्बों की सड़कें पानी से लबालब हो गई हैं तो दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में खेत भी जलमग्न हो गए हैं, इससे फसलें बर्बाद हो रही हैं।
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सबसे चिंताजनक स्थिति राप्ती नदी की है, जिसका जलस्तर सोमवार को 102.710 सेंटीमीटर तक पहुंच गया। तीन अगस्त को राप्ती नदी का जलस्तर 101.480 सेंटीमीटर था। पहाड़ी नालों के किनारे बसे दर्जनों गांवों में बाढ़ की आशंका गहरा गई है। तीनों तहसीलों के करीब 350 गांवों पर बाढ़ का संकट गहरा गया है। हरैया सतघरवा, महराजगंज तराई, उतरौला आदि क्षेत्रों में लोगों की निगाहें नदी की जलस्तर पर टिकी हैं पहाड़ी नाले की बाढ़ से ग्रामीण चिंतित लगातार हो रही बारिश से पहाड़ी नालों में उफान आने की आशंका बढ़ गई है। महराजगंज तराई के रामगढ़ मैटहवा, विजयीडीह, शांतिपुरवा, जगरामपुरवा, लहेरी, सुगानगर, लोनियनपुरवा, औरहिया, सहबिनिया, साहेबनगर, पटोहाकोट, पूरे छीटन, अमरहवा कला, अमरहवा खुर्द, तिवारी डीह, बनकटवा, लोहेपनिया, जमुनपुर व दादव गांव पहाड़ी नालों की चपेट में आ जाते हैं। टूटी माइनर, उर्द की फसलें जलमग्न महराजगंज तराई। कनहरा गांव के समीप सरयू नहर से निकली माइनर की पटरी रविवार देर रात अचानक कट गई। सुबह जब किसानों को जानकारी मिली तब तक खेतों में चारों तरफ पानी भर चुका था। किसान आशीष रत्न पांडे, स्वामी दयाल वर्मा, ननकी यादव, सांवली वर्मा समेत कई लोगों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। किसानों ने नहर विभाग को सूचना दी। इसके बावजूद कोई अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुँचे। इससे ग्रामीणों के आक्रोश बढ़ गया है। पानी भरने से धान की नर्सरी, सब्जियां और दालों की फसलें सड़ने लगी हैं।अभी और बारिश होने का अनुमान जिला आपदा विशेषज्ञ अरुण सिंह ने बताया कि मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे और भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। ऐसे में हालात और बिगड़ने की आशंका है